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महाराष्ट्र चुनाव के बीच क्यों आमने-सामने दिख रहे हैं फडणवीस और अजित पवार, क्या है कहानी?

महाराष्ट्र चुनाव के बीच क्यों आमने-सामने दिख रहे हैं फडणवीस और अजित पवार, क्या है कहानी?

(TTT) महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों फिर से गर्माई हुई है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सत्तारूढ़ गठबंधन के दो प्रमुख नेताओं, *देवेंद्र फडणवीस* और *अजित पवार*, के बीच तकरार की खबरें सुर्खियों में हैं। भाजपा और एनसीपी के बीच गठबंधन के बावजूद, दोनों नेताओं के बीच हालिया बयानबाज़ी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। आइए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे की असली कहानी क्या है और चुनावी परिदृश्य पर इसका क्या असर पड़ सकता है। महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले साल बड़ा उलटफेर देखने को मिला था जब अजित पवार ने एनसीपी से बगावत कर भाजपा के साथ गठबंधन किया और राज्य में नई सरकार का गठन किया गया। हालांकि, शुरुआत में इस गठबंधन को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि यह *राजनीतिक स्थिरता* लाएगा, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इस स्थिरता को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। अभी हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मजाकिया अंदाज में कहा कि, *”इस बात को लेकर 100 प्रतिशत रिफ्ट है।”* यह बयान तब आया जब उनसे अजित पवार के साथ मतभेदों के बारे में सवाल किया गया। हालांकि, फडणवीस ने इसे हल्के फुल्के अंदाज में लिया, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बयान के पीछे कुछ सच्चाई भी छिपी हो सकती है। अजित पवार ने भी हाल ही में अपने बयानों में संकेत दिए कि एनसीपी का एक बड़ा धड़ा अभी भी शरद पवार के प्रति वफादार है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एनसीपी के अंदर भी गुटबाजी चल रही है। अजित पवार के इस कदम से शरद पवार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस दिशा में आगे बढ़ेगी। महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा और एनसीपी के बीच बढ़ती तकरार राज्य की राजनीतिक दिशा बदल सकती है। जहां देवेंद्र फडणवीस का फोकस भाजपा की पकड़ मजबूत करने पर है, वहीं अजित पवार अपनी स्थिति को और अधिक सशक्त बनाने की कोशिश में हैं। दोनों नेताओं के बीच मतभेदों से विपक्षी दलों को मौका मिल सकता है कि वे इस कमजोरी का फायदा उठाकर वोटरों को अपनी ओर खींच सकें। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भाजपा और अजित पवार के बीच मतभेद बढ़ते हैं, तो यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं टिक पाएगा। हालांकि, देवेंद्र फडणवीस ने यह स्पष्ट किया है कि उनका मकसद राज्य के विकास को प्राथमिकता देना है और वह किसी भी मतभेद को बातचीत से सुलझाने के पक्ष में हैं। अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन के फैसले से उनकी पार्टी के कुछ नेता खुश नहीं थे। इस स्थिति में अगर अंदरूनी विवाद बढ़ता है, तो इसका सीधा असर आने वाले चुनावी परिणामों पर पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में यह खींचतान केवल सत्ता के खेल का हिस्सा है। फडणवीस और पवार दोनों ही अपने-अपने दलों के लिए अधिकतम समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, अगर यह तकरार समय रहते सुलझ नहीं पाई, तो इसका खामियाजा गठबंधन को भुगतना पड़ सकता है। महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय जो घटनाक्रम चल रहा है, वह चुनावी रणनीतियों और गठबंधनों पर सीधा असर डाल सकता है। जहां एक तरफ भाजपा अपने गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर अजित पवार अपनी राजनीतिक पकड़ को और सशक्त बनाने में जुटे हैं। अब देखना होगा कि क्या यह गठबंधन चुनावों तक टिक पाएगा या इसमें और दरारें देखने को मिलेंगी।