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शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद के जन्मदिवस पर निकाला तिरंगा मार्च

शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद के जन्मदिवस पर निकाला तिरंगा मार्च
– 90 फुट का तिरंगा लेकर श्री भगवान परशुराम सेना एवं अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की ओर से निकाले गए मार्च में समस्त हिन्दू संगठनों ने लिया हिस्सा
– तिरंगा मार्च शहीद चंद्रशेखर आजाद सहित देश के सभी शहीदों को समर्पित: आशुतोष शर्मा
– कहा, शहीद चंद्रशेखर आजाद का जीवन प्रकाश पुंज बन नौजवानों का दिखाता है देशभक्ति का रास्ता

होशियारपुर, 24 जुलाई(बजरंगी पांडेय):  श्री भगवान परशुराम सेना एवं अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद द्वारा शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद जी के जन्म दिवस पर प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष शर्मा की अध्यक्षता में समस्त हिन्दू संगठनों की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपरांत केशो मंदिर से तिरंगा मार्च निकाला गया। तिरंगा मार्च में 90 फुट का तिरंगा लेकर मार्च केशो मंदिर से होते हुए ड्रामा स्टेज, नई आबादी, कमेटी बाजार, गौरा गेट, कोतवाली बाजार, घंटा घर से होते हुए सब्जी मंडी पर संपूर्ण हुआ। इस दौरान तिरंगा यात्रा में दुश्मनों की गोलियों का सामना करेंगे आजाद थे आजाद हैं आजाद रहेंगे के साथ-साथ भारत माता की जय, वन्दे मातरम्, शहीद चन्द्रशेखर आजाद अमर रहे के नारों से शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने जनसमूह को सम्बोधित करते हुए बताया कि आज का तिरंगा मार्च शहीद चंद्रशेखर आजाद सहित देश के शहीदों को समर्पित है। शर्मा ने कहा कि शहीद चंद्रशेखर आजाद नौजवानों के लिए एक ऐसा प्रकाश पुंज है जिसकी रोशनी सदा हमें सेवा का रास्ता दिखाती है और नौजवानों के दिलों में देश के लिए सब कुछ कुर्बान करने का जज्बा पैदा करती है।

जस्सा पंडित जिला उपाध्यक्ष शिव सेना बाल ठाकरे लायन एवं विजय अरोड़ा ने कहा कि आजाद जी ने 14 वर्ष की आयु में बनारस जा कर संस्कृत पाठशाला में शिक्षा ग्रहण की। 1920 में आजाद जी गांधी जी के आन्दोलन से जुड़े और गिरफ्तार हुए तब उन्हें जज के सामने पेश किया गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और जेल को उनका निवास बताया। चंद्रशेखर आजाद के क्रांतिकारी जीवन को दो हिस्‍सों में बांटा जा सकता है। पहला हिस्‍सा काकोरी कांड (1923) तक है जहां तक उन्‍होंने शचींद्रनाथ सान्याल, बिस्मिल जैसों के साथ मिलकर काम किया। काकोरी की घटना के लिए बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खां, रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी की सजा दी गई थी। आजाद HRA के इकलौते ऐसे बड़े नेता थे जो गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहे थे।

राजिंदर राणा उपाध्यक्ष शिव सेना हिन्दोस्तानएवं संदीप सैनी संस्थापक यूथ वेल्फयर असोसिएशन ने कहा कि कि  इसके बाद आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर भारत के क्रांतिकारी स्‍वतंत्रता संग्राम में सुनहरे पन्‍ने जोड़े। 27 फरवरी को इलाहाबाद के अल्‍फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद और उनके एक साथी सुखदेव राज मिले थे। किसी ने अंग्रेजों से मुखबिरी कर दी। पार्क को घेर लिया गया। चंद्रशेखर आजाद अपने साथ हमेशा एक गोली अलग रखते थे। उनके पास कोल्‍ट की एक पिस्‍टल थी। उन्‍होंने उसी पिस्‍तौल से उस दिन तीन पुलिसवालों को मारा और कई को घायल किया। इससे सुखदेव को भागने का मौका मिल गया। जब पुलिस ने चंद्रशेखर आजाद को घेर लिया तो उन्‍होंने वही अलग रखी गोली निकाली, पिस्‍टल में डाली और शहादत प्राप्त कर ली। चंद्रशेखर आजाद मरते दम तक आजाद रहे। वह पिस्‍टल अब इलाहाबाद म्‍यूजियम में रखी हुई है। अन्त में सभी ने चंद्रशेखर आजाद के जन्म दिवस पर नशे के कुष्ठ से दूर रखने तथा समाज को भ्रष्ट्राचार मुक्त बनाने का संकल्प लिया। इस अवसर परसुनील पराशर लीगल एडवाईयर ब्राह्मण सभा प्रगति,सुरिन्दर शर्मा अध्यक्ष भवानी नगर, पंकज बेदी सलाहकार, वीर शर्मा, अर्जुन पंडित, दीपक,अनमोल हांडा, बिंद्र, उमा शंकर, राजिंदर रत्न, संजय शर्मा, अजय वर्मा स्वर्णकारसंघ, मनोज शर्मा, राजीव शर्मा, बिन्नी हाण्डा,युवा परिवार से पवन कुमार आदि उपस्थित रहे।