मैडिकल बिलों की अदायगी सम्बन्धी समय सीमा तय की जाये: संजीव अरोड़ा
पंजाब सरकार द्वारा पैंशनरों एवं उनके आश्रितों के साथ-साथ जो अधिकारी एवं कर्मचारी इन सर्विस भी हैं उनके मैडिकल बिलों की अदायगी पिछले 2-3 वर्षों से नहीं हुई है। इस बावत यूनियनों द्वारा बार -बार मांग करने के बावजूद इसका कोई ठोस हल नहीं निकाला जा रहा। जिसके चलते पैंशनरों व उनके आश्रितों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है। यह बात नगर निगम से सेवानिवृत सूपरिटैंडैंट व भारत विकास परिषद के अध्यक्ष व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कही। श्री अरोड़ा ने कहा कि सरकार को मैडिकल बिलों की अदायगी सम्बन्धी पॉलिसी को पूरी तरह से रिव्यू करके एक नई ठोस पॉलिसी तैयार करनी चाहिए। एक तरफ जहां महंगाई इतनी बढ़ती जा रही है तो दूसरी तरफ 30-40 साल तक सरकार की नौकरी करने के उपरांत भी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को परेशानियों से गुज़रना पड़ रहा है। श्री अरोड़ा ने कहा कि हालात इतने खराब हैं कि कुछ कर्मचारी अपना इलाज करवाने में भी असमर्थ हैं और इलाज न होने के कारण वह बीमारी से जूझने को भी मज़बूर हैं। उपर से 2-3 साल तक बिलों की अदायगी न होना उनकी परेशानी को और बढ़ा देता है।
श्री अरोड़ा ने बताया कि बिलों की अदायगी सम्बन्धी अगर कोई कर्मचारी सिविल सर्जन कार्यालय जाता है तो वह कहते हैं कि बिल उपर भेज दिये गए हैं और जब उपर पता करते हैं तो कहते हैं कि अभी देख रहे हैं, जल्द ही क्लीयर हो जायेंगे। यहां तक की सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा रिमाइंडर भेजने का बावजूद भी कोई करावाई नहीं होती। इस लिए सरकार से फिर से अपील की जाती है कि इन सर्विस अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ पैंशनरों एवं उनके आश्रितों की इस गम्भीर समस्या का हल करते हुए मैडिकल बिलों की अदायगी को सरल बनाते हुए समय सीमा तय की जाये। उन्होने कहा कि जो अधिकारी एवं कर्मचारी समर्थ हैं उन्हें मैडिकल बिलों की अदायगी सम्बन्धी कोई फर्क नहीं पड़ता। दर्जा 4 एवं मध्यवर्गीय पैंशनरों एवं उनके आश्रितों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस लिए उन अधिकारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होने 2-3 सालों से बिलों की अदायगी को रोक रखा है।
मैडिकल बिलों की अदायगी सम्बन्धी समय सीमा तय की जाये: संजीव अरोड़ा
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