बैसाखी के त्योहार को समर्पित तीन दिवसीय लंगर अड्डा टुटोमजारा में लगाया गया

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*बैसाखी के त्योहार को समर्पित तीन दिवसीय लंगर अड्डा टुटोमजारा में
लगाया गया
*यह तीन दिवसीय लंगर निर्मल कुटिया टूटो मजारा के मुख्य सेवादार संत बाबा मक्खन सिंह जी एवं संत बाबा बलवीर सिंह शास्त्री जी के नेतृत्व में तीन दिन निरंतर चलेगा
* 21 अप्रैल को मुख्य महंत संत बाबा मखन सिंह जी का जन्म दिवस समूह संगतों की ओर से केक काटकर मनाया जाएगा=संत बलबीर सिंह शास्त्री
* होशियारपुर =दलजीत अजनोहा
निर्मल कुटिया टूटोमज़ारा जन्म स्थान ब्रह्मलीन संत बाबा दलेल सिंह जी टूटो मजारा के मुख्य सेवादार संत बाबा मखन सिंह और संत बाबा बलबीर सिंह जी की ओर से समूह संगतों के सहयोग से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बैसाखी के पर्व को समर्पित तीन दिवसीय लंगर अड्डा टूटो मजारा में 11 से 13 अप्रैल तक लगाया जा। रहा है जिस का आज श्री अखंड पाठ साहिब के आरंभ लंगर शुरू किया गया इस संबंध में जानकारी देते हुए संत बाबा मक्खन सिंह जी और संत बाबा बलवीर सिंह शास्त्री जी ने संयुक्त रूप में बताया कि हर वर्ष बैसाखी के पवित्र दिन महापुरषों की ओर से यह लंगर प्रथा शुरू की गई थी जो आज तक निरंतर चल रही है । इस बार भी 11-12 और 13 अप्रैल को अड्डा टुटोमजारा में गुरु का लंगर आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर उन्होंने श्रद्धालुओं से गुरु के लंगर में सेवा कर गुरु घर की खुशियां पाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि खालसा पंथ के साजना दिवस को ध्यान में रखते हुए बैसाख माह में संग्राद का पवित्र दिन शनिवार 13 अप्रैल को निर्मल कुटिया जन्म स्थान संत बाबा दलेल सिंह जी गांव टूटोमजारा में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सबसे पहले अखंड पाठ साहिब के भोग डाले जाएंगे उसके बाद कथा कीर्तन के माध्यम से भक्तों को इस दिन के महत्व से अवगत कराया जाएगा। महापुरुषों ने कहा कि ऐसे आयोजनों का मुख्य उद्देश्य भक्तों को उस शाश्वत ईश्वर से जुड़ने का संदेश देना है, जो इस ब्रह्मांड के कण-कण में रहकर सभी प्राणियों का पालन कर रहा है। इस अवसर पर उन्होंने समस्त मानवता को सेवा-सिमरन और परोपकार का जीवन जीने तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अनुसरण कर अपना जीवन सुख-शांतिपूर्वक जीने का संदेश भी दिया।
इस अवसर पर संत बाबा बलबीर सिंह शास्त्री जी ने बताया के 21 अप्रैल को कुटिया के मजूदा महंत संत बाबा मखन सिंह जी का जन्म दिवस समूह संगतों की ओर से केक काटकर मनाया जाएगा और संगतों की ओर से कीर्तन किया जाएगा

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