सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को संवैधानिक बताया, हाईकोर्ट का फैसला पलटा, 17 लाख छात्रों को मिली राहत
नई दिल्ली:(TTT) सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मदरसा शिक्षा अधिनियम (UP Madarsa Act) को संवैधानिक करार देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है। इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट का उद्देश्य राज्य के मदरसों को मुख्यधारा में लाना और शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना है, और यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के तहत सही है। इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया था, जिससे प्रदेश के हजारों मदरसों को सरकारी मान्यता और वित्तीय सहायता से वंचित किया जा सकता था। हाईकोर्ट ने मदरसों को शिक्षा के मौलिक अधिकार से जोड़ने के सरकार के कदम को अनुचित करार दिया था।हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए कहा कि मदरसा एक्ट राज्य के अधिकारों के तहत आता है और यह एक वैध कानून है। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस कानून का उद्देश्य मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने, छात्रों को बेहतर अवसर देने और उनकी शिक्षा के स्तर को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली के अनुरूप लाना है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय 17 लाख मदरसा छात्रों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो अब इस एक्ट के तहत सरकारी सहायता और सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सही कदम उठाने चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय को लेकर राज्य के शिक्षा विभाग ने भी संतोष व्यक्त किया है और कहा है कि अब मदरसों को सरकारी मान्यता और वित्तीय सहायता के मामले में कोई अड़चन नहीं होगी।