आर्थिक नीतियों पर भारी पड़ती राजनीति से कंगाली की ओर बढ़ रहे राज्य
(TTT)आज के समय में राज्य सरकारें अपनी राजस्व आय का 84 फीसदी हिस्सा सैलरी पेंशन और ब्याज चुकाने पर खर्च कर रही हैं जबकि विकास कार्यों पर खर्च के लिए उनके पास सिर्फ 16% हिस्सा बच रहा है। इसमें भी बीते वित्त वर्ष 11 राज्यों ने राजस्व घाटे का बजट पेश किया यानी उन्हें सैलरी पेंशन और ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज का सहारा लेना पड़ा।बजट प्लानिंग और आर्थिक नीतियों पर भारी पड़ती राजनीति राज्यों को कंगाली की ओर ले जा रही है। जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स राजस्व बढ़ाने के सीमित उपायों के बीच डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजनाओं के चलते राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने से स्थिति और गंभीर हो जाएगी।