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एक ऐसा वाकया जिसने समाज में मानवता की मिसाल पेश की। एक बुजुर्ग, जो पिछले कई सालों से वृद्धाश्रम में रह रहे थे, हाल ही में उनका निधन हो गया। दुखद बात यह रही कि उनकी अंतिम यात्रा में उन्हें कंधा देने और अग्नि देने के लिए कोई परिवारजन मौजूद नहीं था। इस परिस्थिति में विभाग ने डॉक्टर अजय बग्गा से संपर्क किया।
डॉ. अजय बग्गा ने न केवल तुरंत इस नेक कार्य के लिए सहमति दी, बल्कि उनकी बेटी डॉ. आस्था बग्गा ने भी इस जिम्मेदारी को परिवार की तरह निभाया। उन्होंने अपनी पूरी संवेदनशीलता और आदर के साथ बुजुर्ग के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी।
इस मौके पर डॉ. आस्था बग्गा ने मुखाग्नि की रस्म निभाते हुए कहा, “यह हमारा कर्तव्य है कि हम समाज के हर सदस्य को सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दें।“
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यह घटना समाज में इंसानियत और नैतिक मूल्यों की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश करती है। डॉक्टर अजय बग्गा और उनकी बेटी डॉ. आस्था बग्गा की यह पहल न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह सिखाती है कि हर व्यक्ति का अंतिम संस्कार उसके सम्मान और गरिमा के साथ होना चाहिए।