धर्मशाला के 22 गांव टीसीपी में डालना सरकार का ग़लत निर्णय

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धर्मशाला के 22 गांव टीसीपी में डालना सरकार का ग़लत निर्णय

गांवों का 17 सौ हेक्टेयर टीसीपी में लाना बेतुका फैसला

फैसला वापस न हुआ, तो बड़ा संघर्ष होगा, जनविरोधी साबित हो रहा व्यवस्था परिवर्तन

(TTT) धर्मशाला के ग्रामीण एरिया को टीसीपी में शामिल करने पर एक बार फिर दूसरी राजधानी में सियासी भूचाल आ गया है। भाजपा मंडल धर्मशाला ने प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू के इस फैसले को जनविरोधी करार देते हुए आज जिला मुख्यालय धर्मशाला में जिलाधीश कार्यालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा नेताओं ने कहा कि टीसीपी में 22 गांव के 1700 हेक्टेयर शामिल करके कांग्रेस सरकार ने जनता से धोखा किया है। धर्मशाला के पलम एरिया के खेत सोना उगलते हैं। धान,गेहं, नकदी सब्जियों के अलावा इनमें मिलेट्स होते हैं। बिना विजन के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने धर्मशाला हलके की जनता को तंग करने के लिए यह फैसला लिया है, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरे हलके से हजारों लोग इस पर आपत्ति दर्ज कर चुके हैं। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर लिए गए इस फैसले से किसान, गरीब और मजदूरों में मायूसी है। सुधीर शर्मा ने कहा कि गांव, किसान, गरीब और मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया है और उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के इस प्रदर्शन में टीसीपी में शामिल ग्रामीण एरिया

के लोगों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि इसके बाद भी यदि सरकार ने फैसला वापस न लिया, तो धर्मशाला की जनता सडक़ों में उतरकर उग्र आंदोलन करेगी। भाजपा नेताओं ने कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार बनी है, तब से वह गाँव, किसान, गरीब और मजदूर विरोधी फैसले ले रही है। खासकर धर्मशाला के विकास को रोकने और जनता को परेशान करने के लिये आये दिन जनता विरोधी फैसले सरकार ले रही है, जिसका आम जनता में रोष है।
अब हाल ही में धर्मशाला के अति ग्रामीण एरिया, जिसमें एग्रीकलचर लैंड और इसमें काम करने वाले किसान, मजदूर और गरीबों की संख्या ज्यादा है, उस एरिया को टीसीपी में शामिल कर दिया गया है, जिसमें घनियारा खास, सौकणी दा कोट, ढगवार, सुकड़, शीला-भटेहड़, पासू-पंतेहड़, मनेड और चेतडू पंचायतों के 22 नये ग्रामीण एरिया शामिल है। उन्होंने कहा कि इन पंचायतों का 1700 से अधिक हेक्टेयर एरिया आता है, सरकार को पता नहीं कि इस जमीन में किस स्तर पर उत्तम खेती होती है। ऐसे में इस एरिया को जबरन सरकार द्वारा टीसीपी में शामिल करने का फैसला गलत है।

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