पंजाब में पंचायती चुनाव के समय की धक्केशाही, विरोधियों के कागज़ रद्द करने तथा हिंसक घटनाओं ने लोकतंत्र का गला घोंटकर रख दियाः मास्टर महिन्दर सिंह हीर

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पंजाब में पंचायती चुनाव के समय की धक्केशाही, विरोधियों के कागज़ रद्द करने तथा हिंसक घटनाओं ने लोकतंत्र का गला घोंटकर रख दियाः मास्टर महिन्दर सिंह हीर

होशियारपुर-(TTT) पंजाब में पंचायती चुनावों के ऐलान ने लोगों में सरपंच/पंच बनने की पूरी तरह से हलचल पैदा कर दी थी। ऐसा प्रतीत होता था कि पंजाब वासियों के मनो में लोकतन्त्र पर बहुत बढ़िया विश्वास बना हुआ है पर जैसे ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई उस समय से ही धक्केशाही, ज़बरदस्ती, पैसे का लालच देकर, सीनाज़ोरी करके, छलकपट करके तथा डरा धमकाकर सरपंच/पंच बनने की दौड़ लग गई। यही धक्केशाही सर्वसम्मति करने के वक्त इस्तेमाल की गई जिसने भाईचारे की सांझ को खत्म करने की सोच को जन्म दिया। इस कारण ही चुनावों के नामों पर हुई हिंसक घटनाओं ने लोकतंत्र की सोच की हत्या करना भी कहा जा सकता है। पंजाब के सत्ताधारियों की ओर से विरोधियों के नामजदगी के कागज़ रद्द करवाने या दाखिल न करने, प्रशासन की ओर से वक्त पर आरक्षण का ऐलान न करना, पुरानी गलत बनी वोटर लिस्टें/वार्डों का सुधार न करके पुराने ही ढंग से वोटे डलवाना, वार्डों में एक परिवार की वोटें अलग-अलग वार्डों में डलवाने में शोध न करना सरकार पर निष्पक्ष तथा स्वच्छ चुनाव करवाने के ऐलान ने बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है तथा पुलिस तथा प्रशासन की ओर से इसकी ओर विशेष ध्यान न देकर इस सम्बन्धी तुरन्त एक्शन न लेना तथा मूक दर्शक बने रहना भी अन्दर खाते सत्ताधारियों की मदद करने की साजिश ही कही जा सकती है। ऐसी कारवाईयों से पंजाब में जो हिंसक तथा अशांतमय माहौल बना हुआ है, उसके लिये पंजाब सरकार, पुलिस तथा प्रशासन विशेष तौर पर ज़िम्मेदार है जिसकी पंजाब के हर कोने में निंदा हो रही है। बहुजन सोशल एक्शन फ्रंट फार सोशल जस्टिस के नेता मास्टर महिन्दर सिंह ने एक प्रैस ब्यान द्वारा उपरोक्त चुनावों में लोकतन्त्र को ठेस लगाने वाली हिंसक घटनाओं की संख्त निंदा करते हुये बताया कि चाहे राजसी/समाजिक/धार्मिक जत्थेबन्दियां ने आपसी भाईचारे की सांझ को बनाये रखने के लिए सर्वसम्मति के साथ पंचायतें बनाने की अपील की थी पर उनकी इस अपील को दर किनार करके सत्ता के भूखे लोगों ने धक्केशाही करके, सीनाज़ोरी करके, पैसे का लालच देकर वोटरों को मूर्ख बनाकर, डरा धमका कर छलकपट के साथ सर्वसम्मति करवाईं। पंजाब में आपसी भाईचारे को खत्म करने का बहुत बड़ा धक्का बताते इसकी निंदा करनी भी बनती है। श्री हीर ने बताया कि बाबा साहिब डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी ने भी उस समय यह अन्देशा ज़ाहिर किया था कि ताकतवर लोग पैसे तथा सत्ता का डरावा देकर तथा छलकपट करके गरीब लोगों से वोटें बटोरेंगे तथा ऐसे लोग बहुजन समाज को गुलाम बनाकर रखेंगे। इस कारण ही उन्होंने गुप्त वोट का कानून बनाकर जनता को बिना तथा पैसे के लालच के बिना योग्य तथा ईमानदार आदमी को मुखी चुनने की सलाह दी थी जोकि आज वो सोच निराधार हो गई है। उन्होंने यह भी सुचेत किया कि ऐसी साजिशों के परिणाम आने वाले भविष्य में छिपे हुये हैं। यह भी सलाह दी कि नुमांईदों को बदलाखोरी , भ्रष्टाचारी तथा हैंकड़बाज़ी सोच को त्यागकर गांव के विकास तथा विशाल भाईचारा पैदा करने के लिये लोक कचहरी में करने पड़ेंगे।

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