फसल उत्पादकता को बनाए रखने के लिए डीएपी के विकल्प के रूप में किया जा सकता है अन्य खादों का प्रयोग
मुख्य कृषि अधिकारी ने कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए दी महत्वपूर्ण जानकारी
होशियारपुर, 8 नवंबर:(TTT) मुख्य कृषि अधिकारी दीपिंदर सिंह ने बताया कि किसानों की फसल उत्पादकता को बनाए रखने के लिए डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) के विकल्प के रूप में कुछ अन्य खादों का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि डीएपी में 46 प्रतिशत फास्फोरस और 18 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है, जो फसलों की वृद्धि के लिए आवश्यक तत्व प्रदान करता है। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि डीएपी के स्थान पर एनपीके 12:32:16 का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें 32 प्रतिशत फास्फोरस, 12 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 प्रतिशत पोटाश होता है। एक बोरी डीएपी की तुलना में डेढ़ बोरी एनपीके 12:32:16 का उपयोग समान फास्फोरस और नाइट्रोजन प्रदान कर सकता है, साथ ही 23 किलो पोटाश की अतिरिक्त मात्रा भी फसल को मिलती है। यह डीएपी का एक उत्कृष्ट विकल्प है और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है। उन्होंने बताया कि सिंगल सुपर फास्फेट का भी उपयोग डीएपी के विकल्प के रूप में किया जा सकता है। इसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस होता है, और इसके तीन बोरों का उपयोग करने से फसल को फास्फोरस के साथ-साथ 18 किलो सल्फर भी प्राप्त होता है। गेहूं और अन्य फसलों के लिए सल्फर एक आवश्यक तत्व है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि टीएसपी को नए विकल्प के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है, जो डीएपी के बराबर है। किसानों के बीच इस नई उच्च-फास्फोरस खाद का प्रयोग लोकप्रिय हो रहा है, जिससे फसलों को आवश्यक पोषक तत्व मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि डीएपी के अन्य विकल्पों में एनपीके 10:26:26 का भी उपयोग किया जा सकता है। यदि फास्फोरस के लिए सिंगल सुपर फास्फेट या ट्रिपल सुपर फास्फेट का उपयोग किया जाता है, तो बुआई के समय प्रति एकड़ 20 किलो यूरिया डालने की भी सिफारिश की जाती है।