
कहा-कोविड-19 के दौरान जारी जी.एस.आर 220 (ई) का निरंतर दुरूपयोग चिंता का विषय

(TTT) होशियारपुर जि़ला कैमिस्ट एसोसिएशन होशियारपुर के प्रधान रमन कपूर ने बताया कि दि आल इंडिया आर्गेनाईजेशन आफ कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (ए.आई.ओ.सी.डी) ने जहां ओ.टी.सी दवा सूची को अंतिम रूप देने से पहले हितधारकों से विचार विमर्श की मांग की वहीं कोविड-19 आपाकालीन जी.एस.आर. को तत्काल वापिस लेने का आग्रह किया है।

उन्होंने बताया कि भारतभर के 12.40 लाख से अधिक कैमिस्ट और ड्रगिस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाला अखिल भारतीय कैमिस्ट और ड्रगिस्ट संगठन ने स्वास्थय मंत्री जे.पी. नड्डा स्वास्थय सचिव, स्वास्थय सेवा महानिदेशक को एक मांग पत्र सौंपते हुये ओवर द काउंटर (ओ.टी.सी.) दवा विनियमन से जुड़े हालिया घटनाक्रमों और कोविड-19 के दौरान जारी जी.एस.आर 220 (ई) के निरंतर दुरूपयोग पर चिंता जताई है। ए.आई.ओ.सी.डी के अध्यक्ष जे.एस.शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से आग्रह किया है कि ओ.टी.सी. दवाओं की प्रस्तावित सूची और उससे संबंधित किसी भी विनियमन को अंतिम रूप देने से पूर्व सभी संबधित हितधारकों से परामर्श किया जाए। संगठन ने चेताया है कि इस दिशा में जल्दबाज़ी से उठाया गया कोई भी कदम मौजूदा कानूनों (ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक्स एक्ट, फार्मेसी एक्ट) का उल्लंघन, औषधियों के अनुचित, अनावश्यक एवं अनियंत्रित उपयोग की आशंका, नकली और निम्र गुणवत्ता की दवाओं का प्रसार, दवा प्रतिरोध, प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाएं (ए.डी.आर) और जन स्वास्थय को दीर्घकालीन खतरा कैसे गंभीर ज़ोखिमों को जन्म दे सकता है। संगठन के साथ ही 26 मार्च 2020 को जारी जी.एस.आर 220 (ई) को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग भी दोहराई है जिसे कोविड-19 आपातकाल के दौरान दवाओं की होम डिलीवरी के लिए अस्थायी रूप से जारी किया गया है। ए.आई.ओ.सी.डी. ने आरोप लगाया है कि आज ये अधिसूचना ऑनलाईन कंपनियों द्वारा गंभीर रूप से दुरूपयोग की जा रही है। जहां फार्मासिस्ट की निगरानी और वैध प्रिस्क्रिप्शन की प्रक्रिया को दरकिनार किया जा रहा है। जिससे महत्वपूर्ण दवाओं का अंधाधंुध वितरण हो सका है। ए.आई.ओ.सी.डी ने सरकार द्वारा इन मुद्दों को ड्रग्स टेक्निकल एडवाइज़री बोर्ड को संदर्भित करने के निर्णय का स्वागत किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि देश की सबसे बड़ी हितधारक संस्था होने के नाते उसे किसी भी अंतिम निर्णय से पहले चर्चा और विमर्श में सम्मिलित किया जाना अनिवार्य है।
