न रामलीला…न रावण दहन, देवलोक से पहुंचते हैं 300 से अधिक देवी-देवता, जानिए क्या है मान्यता और इतिहास

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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में न रामलीला…न रावण दहन, देवलोक से पहुंचते हैं 300 से अधिक देवी-देवता, जानिए क्या है मान्यता और इतिहास

(TTT)भगवान रघुनाथ के अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा की शोभा को बढ़ाने के लिए पिछले 374 सालों में दूर-दूर से देवी-देवता पहुंचते हैं। इनमें सात देवी-देवता ऐसे भी हैं, जो लाव-लश्कर के साथ 200 किलोमीटर का पैदल सफर कर दशहरा में शिरकत करते हैं। ये सभी देवी-देवता जिला कुल्लू के निरमंड खंड के हैं। खास बात यह है कि इन सात देवी-देवताओं में चार सगे भाई-बहन हैं, जो दशहरा की परंपरा का निर्वहन करने के लिए रघुनाथ की नगरी अठारह करड़ू सौह में विराजमान रहते हैं। देवालयों से कुल्लू तक आने में इन्हें तीन से छह दिन का समय लगता है।

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