New Criminal Laws: देश में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून, प्रश्नोत्तरी के जरिए जानिए इनके बारे में सबकुछ
(TTT)देश की कानून प्रणाली के तीन बड़े बदलाव आज से प्रभावी हो गए हैं। 1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। भारतीय कानून प्रणाली में बदलाव के लिए तीन विधेयक पिछले साल संसद में पेश किए गए थे। इसी साल 24 फरवरी को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे।
1. तीन नए आपराधिक कानून क्या हैं?
1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। इन कानूनों ने क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1898 और 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनयम, 1872 की जगह ली है।
2. नए कानून संसद से कब पारित हुए थे?
12 दिसंबर, 2023 को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल संसद के निचले सदन लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। वहीं 24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे। अंततः आज यानी 1 जुलाई से तीनों कानून लागू हो गए हैं।
3. कानून कहां-कहां लागू हुए हैं?
तीन नए आपराधिक कानून संसद से पारित कानून हैं। ये 1 जुलाई, 2024 से समूचे देश में लागू हो गए हैं।
4. नए कानूनों का उद्देश्य क्या है?
सरकार ने सदन में कहा था कि समाप्त होने वाले ये तीनों कानून अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय देने का नहीं। तीन नए कानून की आत्मा है कि भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा की जाए। इनका उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है।
5. जो पुराने मामले हैं उनका क्या होगा?
गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी दी है कि 1 जुलाई, 2024 से पहले दर्ज हुए मामले पहले के कानूनों के तहत चलेंगे।वहीं 1 जुलाई, 2024 से दर्ज होने वाले मामले नए आपराधिक कानूनों के तहत आएंगे। गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, कानून में कुल 313 बदलाव किए गए हैं। सरकार का कहना है कि ये कानून आपराधिक न्याय प्रणाली में एक आमूलचूल परिवर्तन लाएंगे और किसी को भी अधिकतम तीन वर्षों में न्याय मिल सकेगा।
6. पुरानी आईपीसी पूरी तरह से खत्म हो गई है?
पुरानी आईपीसी में कुल 511 धाराएं थीं। भारतीय न्याय संहिता, जिसने आईपीसी का स्थान लिया है, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं है। आईपीसी की 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, आठ नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।
7. क्या सीआरपीसी पूरी तरह से खत्म कर दी गई है?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जिसने सीआरपीसी को बदला है, में अब 533 धाराएं है। सीआरपीसी की 160 धाराओं को बदल दिया गया है और नौ धाराओं को निरस्त किया गया है। इसके अलावा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
8. भारतीय साक्ष्य अधिनियम पूरा बदल गया है?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 , जिसने साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ली है, इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं हैं। पुराने अधिनयिम में रही 23 धाराओं में बदलाव किया गया है और पांच धाराएं निरस्त की गई हैं। इसके अलावा भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में एक नई धारा जोड़ी गई है।
9. नए कानूनों पर सुझाव किसने दिए हैं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में कहा था कि अंग्रेजों के समय के बनाए गए जितने भी कानून जिस विभाग में भी हैं, उन पर पर्याप्त चर्चा और विचार कर आज के समय के अनुरूप और भारतीय समाज के हित में बनाना चाहिए।18 राज्यों, छह संघशासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 हाई कोर्ट, पांच न्यायिक अकादमी, 22 विधि विश्वविद्यालय, 142 सांसद, लगभग 270 विधायकों और जनता ने इन नए कानूनों पर अपने सुझाव दिए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चार वर्षों तक इन कानूनों पर गहन विचार विमर्श हुआ और वे स्वयं इस पर हुई 158 बैठकों में उपस्थित रहे।