आम के पेड़ों पर लहलहाने लगा बौर, अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बार ‘धमाल’ मचाएगा ‘फलों का राजा’

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आम के पेड़ों पर लहलहाने लगा बौर, अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बार ‘धमाल’ मचाएगा ‘फलों का राजा’

(TTT)आम की बागों में इन दिनों बौर लहलहाने लगे हैं। जिसको देख बागवान गदगद हैं। मौसम ने साथ दिया और किसानों की ओर से सावधानी बरती गई तो फिर इस बार फलों का राजा आम खूब धमाल मचाएगा। बस आवश्यकता किसानों को विशेष सतर्कता बरतने की है।
वर्तमान में आम के साथ लीची के पेड़ों में मंजरों (बौर) के आने का सिलसिला निरंतर जारी है। कजिले में प्राय: आम और लीची के पेड़ों में मंजर फरवरी के द्वितीय सप्ताह से आने लगता है, हालांकि मंजरों के आने का यह गतिविधि आम और लीची के विभिन्न प्रजातियों एवं उस समय से जुड़ा ताप क्रम पर भी निर्धारित होता है। मार्च के दूसरे सप्ताह में कई जगहों पर बागों में पेड़ों पर बौर लदे दिखाई दे रहे हैं जो आगे बेहतर लाभ की स्थिति के संकेत हैं।
बरतें सावधानी
इस समय आम और लीची के बागों में हरगिज सिचाई न करें। यदि किसान इस समय बागों में सिचाई करेंगे तो उन्हें फायदा के बजाए भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आम और लीची के फलों को गिरने से रोकने के लिए जब दाना मटर के बराबर हो जाए तब प्लानोफिक्स दवाई एक एमएल 3 लीटर पानी के साथ घोलकर पेड़ों पर छिड़काव करना चाहिए। जब पेड़ों पर फल लग जाए तब किसानों को सिचाई प्रारंभ करनी चाहिए।
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि विज्ञान बहादुरपुर के कृषि विशेषज्ञ अनिल कुमार कहते हैं कि इस समय किसान विशेष ध्यान दें। मिलीबग कीट पेड़ पर न चढ़े इसके लिए तनों को चारों तरफ पालिथीन बांध दें। वैसे इस कीट के प्रबंधन के लिए किसानों को दिसंबर और जनवरी माह में ही सतर्कता बरतनी चाहिए थी।
यदि पूर्व में किसानों ने ऐसा नहीं किया और कीट पेड़ पर चढ़ गए हैं, इसके लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. या क्विनालफास 25 ईसी दवाई का 1.5 एम एल दवा मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर पेड़ और डालियों पर छिड़काव करें। ध्यान रहे कि बौर निकल जाने के बाद एवं जब तक मटर समान दाना नहीं बन जाता है किसी प्रकार का कोई भी रासायनिक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिए।
उत्कृष्ठ किसान बोले- मौसम का साथ मिल जाए बस
किराये पर आम का बाग लेकर व्यापारी अच्छे कमाई की उम्मीद लगाए हुए हैं। बौर आने से पहले ही वह बाग मालिकों से मिलकर सौदा तय कर लेते हैं और फलों की बिक्री के बाद उन्हें भुगतान करते हैं। दवाओं के छिड़काव के साथ बाग में नमी बनाए रखना और रखवाली सब इन्हीं के जिम्मे रहता है। इस बार आम के पेड़ बौर से लद गए हैं। जिससे कारोबार करने वालों को उम्मीद है कि वह इस बार बेहतर मुनाफा प्राप्त करेंगे।
पिछले वर्ष आम की पैदावार पर मौसम की मार से पैदावार कम होने पर ऊंची कीमतों के कारण फलों के राजा का लोग भरपूर स्वाद नहीं ले पाए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी पैदावार के लिए उचित प्रबंधन, सिचाई और कीटनाशकों का छिड़काव चरणबद्ध तरीके से करना जरूरी है। तहसील तिलोई क्षेत्र में बहादुरपुर, क़स्बा जायस, मवई आलमपुर, खरौली सहित तमाम गांवों में स्थित आम के बगीचों को लाखों रुपये खर्च कर बाग मालिकों से व्यापारी खरीदारी करते हैं।
रमेश कुमार सिंह बताते हैं कि हमने एक बीघा आम का बागीचा तैयार किया है। पिछले साल मौसम की वजह से नुकसान हुआ था, लेकिन लगता है इस बार नुकसान की भरपाई हो जाएगी। राम सिंह ने बताया कि करीब डेढ़ बीघे में आम की बाग तैयार की है, इस बार बौर अच्छे आये है इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि फल भी अच्छे लगेंगे। व्यापारी राजू सोनकर ने बताया कि करीब 5 बीघे आम की बाग खरीदी है। इस बार अच्छे मुनाफे की उम्मीद है।

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