होशियारपुर, 30 जनवरी, 2025 (बजरंगी पांडेय )
विश्व कुष्ठ दिवस के अवसर पर आज सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. पवन कुमार शगोत्रा के दिशा-निर्देशानुसार कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गईं। इस दिन पहले सुबह सिविल अस्पताल होशियारपुर के सीनियर मेडिकल ऑफिसर-इन-चार्ज डॉ. स्वाति शिंहमार के नेतृत्व में सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. कुलदीप सिंह, त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सोरव शर्मा और जिला कुष्ठ रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. डॉ. रॉबिन ने अस्पताल के कर्मचारियों को कुष्ठ रोग के मूल कारणों के बारे में जानकारी दी एवं उन्होंने इसे जड़ से खत्म करने और लोगों में जागरूकता लाने का संकल्प लिया।
इसके बाद जिला कुष्ठ नियंत्रण अधिकारी डॉ. रोबिन द्वारा होशियारपुर स्थित कुष्ठ आश्रम में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के दौरान कुष्ठ रोग के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. रोबिन ने बताया कि कुष्ठ रोग पूरी तरह से उपचार योग्य है। कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु द्वारा फैलने वाला रोग है। उल्लेखनीय है कि लोगों में यह गलत धारणा है कि कुष्ठ रोग पापों का परिणाम है, लेकिन यह कोई पाप नहीं है, बल्कि एक संक्रामक रोग है जो खांसने या छींकने के माध्यम से बूंदों के संक्रमण के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और किसी भी आयु में हो सकता है।हमें कुष्ठ रोग से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि हर संभव तरीके से उनकी मदद करनी चाहिए।
उन्होंने कुष्ठ रोग के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि त्वचा पर हल्के पीले तांबे के रंग या लाल धब्बे कुष्ठ रोग का संकेत हैं।त्वचा के नीचे की नसों को क्षति पहुंचने के कारण त्वचा सुन्न हो जाती है। इस रोग के कारण तंत्रिकाएं मोटी और कठोर हो जाती हैं। रोगी को कुष्ठ रोग से प्रभावित क्षेत्र पर किसी प्रकार का दर्द या चोट महसूस नहीं होती है। मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, जिससे शरीर के अंग मुड़ जाते हैं और सुन्न होने के कारण ये अंग कभी-कभी चोट लगने पर शरीर से अलग हो जाते हैं। लेकिन इस बीमारी का इलाज संभव है और सरकारी अस्पतालों में इसका इलाज बिल्कुल मुफ्त किया जाता है। बहु-औषधि चिकित्सा यानि एम.डी.टी. कुष्ठ रोग 100 प्रतिशत उपचार है। कुष्ठ रोग को धब्बों की संख्या के आधार पर निम्न श्रेणी या उच्च श्रेणी में विभाजित किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग का सबसे बड़ा नुकसान शरीर का विकृत होना या विकृत हो जाना है।अपंगता रोकने के लिए शरीर पर तेल और पानी से मालिश करने से त्वचा सूखने से बच जाती है। हाथ और पैर आधे घंटे तक पानी में डूबे रहने चाहिए। कमजोर हिस्से के लिए निर्धारित सहायक व्यायाम प्रतिदिन किया जाना चाहिए। यदि किसी भी मरीज को अपनी त्वचा पर इस तरह का निशान दिखाई दे जो सुन्न हो और ठीक न हो रहा हो तो उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए।
शिविर के दौरान निवासियों को एमसीआर शूज़ सेल्फ-केयर किट और दवाइयां भी वितरित की गईं।