जयशंकर ने मॉरीशस की प्रगति की दिशा में भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की
(TTT)विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को मॉरीशस की प्रगति और समृद्धि की दिशा में भारत के निरंतर और सतत समर्थन की पुष्टि की।
जयशंकर विशेष द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मॉरीशस के नेतृत्व के साथ “सार्थक बातचीत” के लिए दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं।
हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश की यह यात्रा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में पुनः नियुक्ति के बाद जयशंकर द्वारा की गई पहली द्विपक्षीय बैठकों में से एक है।
जयशंकर ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “मॉरीशस के साथ भारत के संबंध मजबूत और बहुआयामी साझेदारी में तब्दील हो गए हैं। मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय संबंध विदेशों में भारत के सफल विकास सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है।”
इस कार्यक्रम में भारत द्वारा वित्तपोषित 12 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिक्षा, संस्कृति, आव्रजन अभिलेखागार के डिजिटलीकरण तथा अंतरिक्ष एवं नवाचार के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।जयशंकर और जगन्नाथ ने मॉरीशस में सातवीं पीढ़ी के भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड भी सौंपे।
यह यात्रा भारत एवं मॉरीशस के संबंधों के महत्व को रेखांकित करती है और यह भारत की ‘पड़ोस प्रथम की नीति’, ‘विजन सागर’ और ‘ग्लोबल साउथ’ (अल्प विकसित देशों) के प्रति प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करती है।
मॉरीशस स्थित भारतीय उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार, ऐतिहासिक, जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक कारणों से भारत के पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र मॉरीशस के साथ घनिष्ठ एवं दीर्घकालिक संबंध हैं।
उसने कहा कि विशेष संबंधों का एक प्रमुख कारण यह तथ्य है कि द्वीप की 12 लाख की आबादी में लगभग 70 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं।
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