हिंदू धर्म में, नव वर्ष को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है:
(TTT)सृष्टि का आरंभ ब्रह्म पुराण के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था। इसलिए, हिंदू नव वर्ष को नई शुरुआत और सृजन का प्रतीक माना जाता है।
नए साल की उम्मीदें एक नए साल की शुरुआत नई आशाओं और योजनाओं का भी प्रतीक है। लोग इस दिन को बीते साल को पीछे छोड़ कर सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेते हैं।
वसंत का आगमन चैत्र मास वसंत ऋतु का पहला महीना होता है। प्रकृति के जागरण और खिलने का यह समय नए साल का उत्सव मनाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
ज्योतिषीय महत्व : हिंदू ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति का पूरे वर्ष पर प्रभाव माना जाता है। हिंदू नव वर्ष के दिन ग्रहों की स्थिति को देखकर आने वाले साल के बारे में भविष्यवाणी की जाती है।
हिन्दू धर्म में, नव वर्ष को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे:
उत्तर भारत: बैसाखी (फसल उत्सव के साथ भी मनाया जाता है)
दक्षिण भारत: उगादि या गुड़ी पड़वा
अन्य क्षेत्र: पणा संक्रांति (ओडिशा), नवरेह (कश्मीर), चेती चंद (सिंधी), आदि
यह नया साल नई आशाओं, योजनाओं और शुभ शुरुआत का प्रतीक है।
हिन्दू नव वर्ष का महत्व
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को, हिन्दू नव वर्ष मनाया जाता है। यह वसंत नवरात्रि के पहले दिन से भी शुरू होता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार, इस दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी।
ज्योतिष गणना के अनुसार, इस दिन ग्रहों की स्थिति पूरे वर्ष को प्रभावित करती है। इस वर्ष के राजा मंगल ग्रह हैं और मंत्री शनि ग्रह हैं।
जश्न मनाने का तरीका हर क्षेत्र में हिन्दू नव वर्ष को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन कुछ समान परंपराएं हैं, जैसे:
घरों की साफ-सफाई और सजावट
पूजा-पाठ करना
स्वादिष्ट भोजन बनाना
परिवार और दोस्तों के साथ मिलना-जुलना
नए साल की शुभकामनाएं देना
मुझे आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। हिन्दू नव वर्ष की शुभकामनाएं
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