जानलेवा हो सकता है हेपेटाइटिस, रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी: डॉ शैलेश कुमार

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जानलेवा हो सकता है हेपेटाइटिस, रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी: डॉ शैलेश कुमार

होशियारपुर 29 जुलाई 2024(TTT) हेपेटाइटिस उन्मूलन को लेकर सिविल सर्जन डॉ. बलविंदर कुमार डमाणा के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग होशियारपुर द्वारा आज एसडी कॉलेज अध्यक्ष श्रीमती हेमा शर्मा, सचिव श्री गोपाल शर्मा की रहनुमाई में कार्यकारी प्रिंसिपल प्रो. प्रशांत सेठी एवम् एसडी कॉलेजिएट पंडित अमृतानंद मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. राधिका रतन की अध्यक्षता में विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर “यह एक्शन का समय है” विषय के तहत एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर नोडल ऑफिसर (एनवीएचसीपी) डॉ. सैलेश कुमार, डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर डॉ. तृप्ता देवी, डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर मैडम रमनदीप कौर, डॉ. कंवर धालीवाल, स्कूल कॉलेज का समस्त स्टाफ व विद्यार्थी उपस्थित थे। सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ शैलेश कुमार ने कहा कि हेपेटाइटिस एक लीवर की बीमारी है, अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस रोग वायरस से फैलता है। ये वायरस पांच प्रकार के होते हैं, जिन्हें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई कहा जाता है। हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और दूषित भोजन खाने से होता है, जबकि अन्य प्रकार का हेपेटाइटिस रक्त के माध्यम से फैलता है। हेपेटाइटिस बी, सी को काला पीलिया भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि यह नशीली दवाओं के इंजेक्शन लगाने, दूषित सुइयों का प्रयोग करने, शरीर पर दूषित सुइयों का प्रयोग करने तथा दूषित औज़ारों से टैटू गुदवाने से फैलता है। काला पीलिया के कारण लीवर क्षतिग्रस्त हो जाता है और कभी-कभी इससे लीवर कैंसर भी हो सकता है। हेपेटाइटिस बी और सी से बचाव के लिए नशे से दूर रहना जरूरी है। किसी भी तरह के इंजेक्शन के लिए डिस्पोज़ेबल सिरिंज का उपयोग किया जाना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाते समय सावधानी बरतनी चाहिए तथा सरकार द्वारा अनुमोदित ब्लड बैंक से परीक्षण किया हुआ रक्त ही मरीज को चढ़ाना चाहिए। अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहकर एक साथी के साथ संबंध स्थापित करना चाहिए। उन्होंने हेपेटाइटिस के लक्षण बताते हुए कहा कि इसमें हर समय बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी रहती है। चमड़ी, आँखों तथा पेशाब का रंग पीला हो जाता है। इसके साथ ही उल्टी और भूख न लगना भी इसके प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर इलाज कराना चाहिए। डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर डॉ. तृप्ता देवी ने कहा कि हेपेटाइटिस ए और ई से बचाव के लिए भोजन बनाने के लिए साफ पानी साफ़ जगह का इस्तेमाल करना और हाथों की सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। किसी भी प्रकार की सर्जरी, दंत चिकित्सा, रक्तदान, डायलिसिस, गर्भवती महिलाओं और उच्च जोखिम वाले समूहों से पहले हेपेटाइटिस परीक्षण अनिवार्य है। हेपेटाइटिस-बी और सी के इलाज के लिए किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से संपर्क किया जा सकता है।डिप्टी मास मीडिया अधिकारी श्रीमती रमनदीप कौर ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिए 23 जिला अस्पतालों, 03 सरकारी मेडिकल कॉलेजों, 07 एआरटी सेंटरों, 14 एसटी केन्द्रों में हेपेटाइटिस-सी और बी का इलाज मुफ्त किया जाता है। उन्होंने कहा कि देश को हेपेटाइटिस मुक्त बनाने के लिए इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता संदेश घर-घर तक पहुंचाना और समय पर इसका इलाज कराना जरूरी है।इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा विषय से संबंधित बनाए गए पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। विभाग ने विद्यार्थियों को जागरूकता सामग्री भी वितरित की।अंत में डॉ.राधिका रतन ने हेपेटाइटिस से संबंधित बहुमूल्य जानकारी साझा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को धन्यवाद दिया और छात्रों के माध्यम से इस जानकारी को और अधिक फैलाने का आश्वासन दिया।

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