रंगों का त्योहार – होली
(TTT)होली, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे “रंगों का त्योहार” के रूप में जाना जाता है, यह त्योहार न केवल खुशियों का प्रतीक है बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय, भाईचारा और सौहार्द का संदेश भी देता है।
होली कब मनाई जाती है? (Kab Manai Jati Hai?)
होली, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो सामान्यतः फरवरी या मार्च के महीने में पड़ती है। दो दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का पहला दिन होलिका दहन (Holika Dahan) के नाम से जाना जाता है, जिसे छोटी होली भी कहते हैं। इस दिन लोग शाम के समय होलिका जलाते हैं। दूसरा दिन धुलेंडी (Dhuleti) या रंगवाली होली (Rangwali Holi) के रूप में मनाया जाता है, जिस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं।
होली का इतिहास और महत्व (Holi ka Itihas aur Mahatv)
होली के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। सबसे प्रचलित कथा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। हिरण्यकश्यप को यह अभिमान हो गया था कि वह अमर है। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आग में कूदने का आदेश दिया, ताकि वह प्रह्लाद को भी जला सके। लेकिन होलिका की भक्ति निष्फल रही और प्रह्लाद विष्णु के भक्त रूप में सुरक्षित रहा। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। होलिका दहन इसी घटना का प्रतीक है।
वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है होली। सर्दियों के बाद बहार आने की खुशी इस त्योहार में झलकती है। रंगों से खेलना बुराई को दूर करने और सकारात्मकता लाने का प्रतीक माना जाता है।
होली कैसे मनाई जाती है? (Holi Kaise Manai Jati Hai?)
होली का त्योहार देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। लेकिन कुछ परंपराएं लगभग हर जगह समान होती हैं।
होलिका दहन (Holika Dahan): होलिका दहन के दिन लोग शाम के समय लकड़ी, सूखी घास आदि से होलिका का ढेर बनाते हैं और उसमें आग लगाते हैं।
रंगवाली होली (Rangwali Holi): रंगवाली होली के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहाते हैं और फिर एक-दूसरे को रंग लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। बच्चे पानी के फुहारों और रंगीन गुब्बारों से होली खेलते हैं। ढोल की थाप पर लोग होली के गीत गाते हैं और नाचते हैं। इस दिन लोग पारंपरिक व्यंजन जैसे गुझिया और ठंडाई का भी सेवन करते हैं।
होली सिर्फ हिंदू धर्म का त्योहार नहीं है। इसका उत्साह हर धर्म और समुदाय के लोगों में देखने को मिलता है। यह त्योहार हमें भाईचारा, सौहार्द और सकारात्मकता का संदेश देता है।
होली का असली रंग: बुरी आदतों को जलाएं (Holi ka Asli Rang: Buri Aadat ko Jalayein)
होली रंगों का खूबसूरत त्योहार है, जो खुशियां बिखेरता है और लोगों को आपस में जोड़ता है। लेकिन कई बार कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इस खुशी के पर्व को दूसरों के लिए परेशानी का सबब बना देते हैं। आइए, इस होली कुछ बुरी आदतों को जलाने का संकल्प लें, ताकि त्योहार का असली रंग फूट सके।
1. पानी की बर्बादी (Pani ki Barbadi)
होली पर पानी के गुब्बारों और प पानी के पंप का इस्तेमाल आम बात है। मगर पानी की बर्बादी किसी भी लिहाज से सही नहीं है। हम रंगों के साथ पानी की बर्बादी कम करने का संकल्प लें। सूखे रंगों का प्रयोग करें या फिर कम पानी वाले पुप्पड़ों का इस्तेमाल करें।
2. दूसरों को परेशान करना (Dusron ko pareshan karna)
होली खुशी मनाने का त्योहार है, दूसरों को जबरदस्ती रंग लगाना या पानी डालना उन्हें परेशान कर सकता है। खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और जो खेलना नहीं चाहते उन्हें सम्मान दें और उनकी इच्छा का सम्मान करें।
3. खतरनाक रंगों का इस्तेमाल (Khatarnak रंगों का इस्तेमाल)
बाजार में मिलने वाले कई रंगों में केमिकल होते हैं, जो आंखों, त्वचा और शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए, जो सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
4. शराब पीकर हुड़दंग करना (Sharab pee kar hurdang karna)
होली पर कुछ लोग शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं, जिससे माहौल खराब होता है और दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। नशे में गाड़ी चलाना या सार्वजनिक उपद्रव कतई भी स्वीकार्य नहीं है।
5. गंदगी फैलाना (Gandgi फैलाना)
रंग खेलने के बाद सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाना गलत है। हमें रंग खेलने के लिए खुली जगहों का चुनाव करना चाहिए और खेलने के बाद सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए।
होली खुशियों का त्योहार है, आइए मिलकर इस बार इसे और भी रंगीन और सकारात्मक बनाएं। बुरी आदतों को जलाकर सराबोर होली मनाएं, जो यादगार भी हो और पर्यावरण के अनुकूल भी हो।