सरकार द्वारा विधायकों के वेतन तथा पेंशन के मामले में दोहरे मापदंड अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण : तीक्ष्ण सूद
कहा : आर्थिक तंगी के बहाने पेंशन घटाने के बाद अब अपने वेतन तथा भत्ते बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं :
होशियारपुर ( 7 सितम्बर) (TTT) पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद द्वारा जारी प्रेस नोट में विधान सभा सत्र के दौरानसामान्य प्रयोजना समिति (जनरल पर्पस कमेटी ) की मीटिंग बुला कर विधायकों के वेतन बढ़ा कर 3 लाख प्रति माह करने के प्रयास की कड़ी आलोचना की हैं । उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे पंजाब की जनता पर हाल ही में 3 हज़ार करोड़ रुपए के नए टैक्स पेट्रोल, डीजल, बिजली तथा बस किराये के लगाए गए हैं क्या उन पैसो से आम आदमी पार्टी के विधायकों की गरीबी दूर करना ही इसका मकसद हैं ? श्री सूद ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले बहुत प्रचार किया गया था कि विधायक, सांसद आदि जनता के सेवक होते हैं उन्हें कोई वेतन भत्ते व पेंशन आदि नहीं देने चाहिए तथा इसी बात का हवाला देकर उन्होंने पूर्व विधायकों की पेंशनों में भारी कटौती कर दी थी जो कि कानून व्यवस्थाओं की परंपराओं के भी उल्ट थी। विधायकों को दी जाने वाली पेंशन मान सरकार को इस लिए चुभती थी क्योंकि पेंशन लेने वाले विधायकों में से आम आदमी पार्टी के शायद दो-चार मेंबर थे, परन्तु विधायकों के वेतन तथा भत्ते बढ़ाने में इस लिए इन्हे तकलीफ नहीं हो रही हैं कि 117 में से 92 विधायक आम आदमी पार्टी के हैं। श्री सूद ने कहा कि यह सरकार का सरासर भेदभाव पूर्ण फैसला हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में रहे विधायकों की जिम्मेदारियां भी लोगों के प्रति कम नहीं हैं। श्री सूद ने कहा कि आम आदमी पार्टी तथा मान सरकार अपने किसी भी स्टैंड पर कायम नहीं रही। इस सरकार में अपने प्रचार तथा अपने लाभ के लिए सरकारी खजाने को दोनों हाथो से लूटा जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि विधायकों के वेतन तथा भत्तों की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को रोक कर उनमें कटौती की जाए वरना पूर्व विधायकों की भी पुरानी पेंशन बहाल करके उसमें भी बढ़ोतरी की जाए। श्री सूद ने कहा कि मान सरकार दोहरे मापदंड चला रही हैं परन्तु लोकतंत्र में दोहरे मापदण्डो के लिए कोई स्थान नहीं हैं।