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जन्मजात दोषों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर रोकथाम एवं उपचार संभव: डॉ. सीमा गर्ग

जन्मजात दोषों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर रोकथाम एवं उपचार संभव: डॉ. सीमा गर्ग

होशियारपुर 15 मार्च 2024 (बजरंगी पांडे ):
सिविल सर्जन डा बलविंदर कुमार डमाणा के दिशा-निर्देशों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग होशियारपुर द्वारा जिला टीकाकरण अफसर डा सीमा गर्ग की अध्यक्षता में जिले में बच्चों के जन्मजात दोषों की पहचान, रोकथाम और उपचार प्रबंधन पर एक जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के विभिन्न ब्लॉकों से आशा फैसिलिटेटरों ने भाग लिया। इस अवसर पर बच्चों के रोगों के माहिर डॉ. हरनूरजीत कौर, मास मीडिया विंग से डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर डॉ. तृप्ता देवी, डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर रमनदीप कौर, जिला बीसीसी कोऑर्डिनेटर अमनदीप सिंह, डीईआईसी से स्पेशल एजुकेटर प्रवेश कुमारी, स्टाफ नर्स रेनू बाला एवं स्कूल हैल्थ काॅआरडीनेटर पूनम उपस्थित रहे।

इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए डॉ. सीमा गर्ग ने बताया कि बच्चों के जन्मजात दोषों में रीढ़ की हड्डी में सूजन, डाउन सिंड्रोम, कटे होंठ और कटे तालु, टेढ़े पैर, श्रोणि का अनुचित विकास, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदय रोग, जन्मजात मोतियाबिंद शामिल हैं। समय से पहले जन्मे शिशुओं में रेटिनल दोष शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कई बच्चों में कटे होंठ या कटे तालु की समस्या जन्म से ही होती है और इसका इलाज सर्जरी से किया जाता है।

डॉ. हरनूरजीत ने बताया कि अगर गर्भवती महिला का शराब पीने, धूम्रपान करने का इतिहास रहा हो या मां को मधुमेह या मोटापा हो तो पैदा होने वाले बच्चों में ऐसे जन्मजात दोष होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि कटे होंठ की सर्जरी जन्म के बाद पहले 6 महीनों में की जा सकती है और यदि दोष तालु तक है, तो 6 से 12 महीने की उम्र तक की जा सकती है। यदि यह दोष नाक या गले तक है तो 10 वर्ष की आयु में पूरी सर्जरी की जाती है। ऐसे दोष वाले बच्चों को दूध पीने में कठिनाई होती है और कान या गले में संक्रमण होता है और सुनने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने जानकारी साझा करते हुए कहा कि अगर बच्चों में 31 जन्मजात दोष हैं तो उनका इलाज सरकार द्वारा मुफ्त किया जाता है।

मैडम रमनदीप कौर ने कहा कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे आर.बी.एस.के. कार्यक्रम का उद्देश्य जन्म से लेकर 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों में जन्म संबंधी दोषों, कमियों, बचपन की बीमारियों, विकासात्मक देरी सहित विकलांगताओं की शीघ्र पहचान और उपचार प्रदान करना है।

श्रीमती पूनम ने बताया कि आर.बी.एस.के. के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पंजीकृत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जन्मजात बीमारियां जिनका इलाज सरकार द्वारा किया जा सकता है की सूची उपलब्ध है। इन बच्चों को डीईआईसी सेंटर द्वारा आवश्यकतानुसार उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार हेतु रेफर किया जाता है।