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शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री अफसरशाही द्वारा उत्पन्न की गई बाधाओं को तुरंत दूर करते हुए प्रिंसिपलों के प्रदोन्नति दें
पिछले दिनों अखबारों में छपी खबरों से पता चलता है कि पंजाब भर में 45 प्रतिशत से अधिक सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 856 से अधिक प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हैं। जो कि पंजाब सरकार द्वारा पेश की जा रही शिक्षा क्रांति के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। पंजाब में यह नकली शिक्षा मॉडल बुरी तरह से विफल हो चुका है। उपरोक्त विचारों का प्रगटावा जनरल कैटेगरीज फेडरेशन पंजाब के नेताओं जरनैल सिंह बराड़, कपिल देव पराशर, रणजीत सिंह सिद्धू, जसवीर सिंह गड़ांग ने सांझे तौर पर किया। फेडरेशन ने कहा कि यह सारी बाधाएँ विभाग ने पैदा की हैं। इस संबंध में अफसरशाही शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को गुमराह कर रही है। फेडरेशन ने कहा है कि कई बार कहने के बावजूद भी शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री फेडरेशन को बैठक के लिए समय नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ है तो वह बैठक से क्यों भाग रही है? उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे तो एक हफ्ते के अंदर ही लगभग 600 प्रिंसिपल को पदोन्नत कर सकती है।
इसका तुरंत समाधान यह है कि कांग्रेस सरकार द्वारा जो शिक्षकों से प्रिंसिपल पदोन्नति के लिए कोटा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था, सरकार उसे फिर से 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दे। इससे समस्या का तुरंत समाधान होगा और कोई कानूनी अड़चन भी नहीं आएगी। फेडरेशन ने बताया कि अब प्रिंसिपलों की पदोन्नति के लिए कोटा केवल 50 प्रतिशत है। जबकि पहले यह कोटा 75 प्रतिशत होता था। पर कांग्रेस सरकार के समय लेक्चरार से प्रिंसिपल बनने के लिए यह कोटा घटाकर 2018 में 50 प्रतिशत कर दिया गया। यह कांग्रेस सरकार की बहुत बड़ी गलती थी। आप सरकार को चाहिए कि कांग्रेस सरकार के समय की गई इस गलती को तुरंत सुधार दिया जाए। इससे सरकार पर कोई वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ेगा और करीब 600 प्रिंसिपल पदोन्नत हो जाएंगे। प्रदोन्नति और सीधी भर्ती के लिए 75ः25 की प्रपोजल फाइल पिछले एक साल से अफसरशाही की अड़चनों के कारण रुकी पड़ी है और फाइल एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के बीच उलझी फिर रही है।
मुख्यमंत्री चाहें तो इसे क्लियर करवाकर जल्दी प्रिंसिपल पदोन्नत कर सकते हैं, नहीं तो यह समझा जाएगा कि यह सरकार सिर्फ कोरी बयानबाजी ही कर रही है। इस समय पंजाब के बहुत से लेक्चरार जो पिछले 25 से 31 सालों का अनुभव होने के बावजूद भी पदोन्नत नहीं हो रहे, उन्हें भी इंसाफ मिल जाएगा। फेडरेशन ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से तुरंत बैठक के लिए समय माँगा है ताकि इस समस्या के संबंध में अपना पक्ष रखा जा सके। फेडरेशन ने सरकार को सख्त शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि पहले से काम कर रहे शिक्षकों को प्रिंसिपल के रूप में पदोन्नत करके सरकारी स्कूलों में नियुक्त नहीं किया गया, तो वे संगरूर में मुख्यमंत्री के निवास के सामने मार्च में विरोध प्रदर्शन करेंगे जिसका ऐलान मार्च महीने में कर दिया जाएगा।