14 अप्रैल को बाबा साहिब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर जी के जन्मदिवस की खुशियाँ भी और चुनौतियाँ भी।

Date:

(TTT) समूह देश और विदेश में बसे भारतीयों को बाबा साहिब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर जी के जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाई हो। बाबा साहिब के जन्म से पाँच हजार साल पहले के इतिहास पर यदि नजर डालें तो भारत देश का सामाजिक ढाँचा, जाति-पाति, नफरत, असमानता, साम्प्रदायिकता और अमानवीयता पर आधारित चल रहा था। इसमें एक उच्च जाति वर्ग बहुसंख्यक को इंसान नहीं बल्कि बतौर हैवान के तौर पर समझता था। इससे भी अधिक दुख वाली बात यह थी कि औरत जाति को पैर की जूती और नर्क का द्वार कह कर दुत्कारा जाता था। उसे पर्दे में रह कर घुटन वाला जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर किया जाता था। उसके पति की मौत हो जाने के उपरांत उसे जिंदा ही पति की चिता में जबरदस्ती मरने के लिए मजबूर किया जाता था जिसको सती प्रथा के नाम से जाना जाता था। उसे शिक्षा प्राप्त करने का भी अधिकार नहीं होता था। एक धार्मिक पुस्तक मनुस्मृति के अनुसार इस देश के मानवीय समाज को चार वर्णों में जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, वैश्य शूद्र (अति शूद्र) के अनुसार बाँट कर अलग-अलग वर्णों के लोगों के साथ अलग-अलग तरह का गैर-मानवीय व्यवहार किया जाता था। देश की लगभग 90 प्रतिशत जनता को जाति-पाति के हिसाब से गुलाम बना कर रखा जाता था। मनुवादी विचारधारा का इतना बोलबाला था कि यदि कहीं साँप और शूद्र इकट्ठे मिल जाएँ तो शूद्र को मारने के हुक्म थे। उनके अनुसार मनुष्य को जानवर साँप को बचा कर रखना चाहिए। औरतों को अपनी छाती ढक कर चलने का अधिकार नहीं था यदि ढक कर चलना है तो उसका टैक्स अदा करना पड़ता था। जायदाद और धन दौलत रखने और पढ़ाई का अधिकार ही कुछ मुट्ठी भर उच्च जाति के लोगों के पास था। शूद्रों को कुओं और तालाबों से भी पानी पीने का हक नहीं था। शूद्रों को गले में मटका डाल कर दोपहर के समय जब मनुष्य की परछाई कम होती थी, उस वक्त घर से बाहर आने के हुक्म थे। शूद्रों को घर से बाहर निकलने पर घंटी बजाने की हिदायत थी ताकि राह में आने वाले उच्च जाति के लोगों पर शूद्र की परछाई न पड़ सके। शूद्रों को धार्मिक स्थानों पर जाने की सख्त पाबंदी थी और शूद्रों को फटे पुराने कपड़े पहनने के सख्त निर्देश थे।
बाबा साहिब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर जी का जन्म उपरोक्त गैर-मानवता पर आधारित सिस्टम में हुआ। उन्हें भी इस गैर-मानवीय सिस्टम का हर वक्त शिकार होना पड़ा। ज्यों ही स्कूल में पढ़ने के समय जाति-पाति सिस्टम के अनुसार उन्हें बेइज्जत होना पड़ा तो उन्होंने अपने मन में इस सिस्टम को खत्म करने का पक्का इरादा कर लिया, जिसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करके उच्च स्तरीय ज्ञान प्राप्त करके भारत के जाति-पाति सिस्टम के विरुद्ध सारी जिंदगी संघर्ष किया और अंत में उनकी बुद्धिमत्ता के अनुसार उन्हें कानून मंत्री बनने का मौका मिला और इसके उपरांत देश आजाद होने पर भारतीय संविधान बनाने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने अपनी कलम से इस सिस्टम को तोड़ कर हर मनुष्य को समानता का अधिकार दिलवाया।
औरत जाति को मर्द के बराबर अधिकार दिए जिससे हर एक मनुष्य चाहे औरत या मर्द हो, को जीवन में आगे बढ़ने के बराबर मौके प्रदान किए। इसी कारण जिन लोगों को नीच कहा जाता था वह बड़ी-बड़ी पदवियों पर विराजमान हुए। इस समय से ही भारत में मानवीय आजादी ने जन्म लिया।

आज भारत की 77 साल की आजादी के बाद जब देश के हालात पर विचार करते हैं तो आज फिर 15 साल से आर.एस.एस. के गैर-मानवीय एजेंडे पर भाजपा ने केंद्र/राज्यों में राज सत्ता संभालने के बाद बहुजन समाज के हितों के विरुद्ध बड़ी तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। हर एक को जाति और धर्म के नाम पर लड़ाने की साजिशें रची जा रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधायें, रोजगार आदि अधिकार तेजी से खोए जा रहे हैं। इंसाफ इन लोगों से दूर होता जा रहा है। उच्च जाति वर्ग की ओर से फिर दोबारा पाँच हजार साल पहले वाला समय लाने की तैयारियाँ जोरों शोरों पर हैं। बड़े दुख की बात है कि हमारे बहुजन समाज के नेता महलों में ऐशो-आराम वाली जिंदगी बिता रहे हैं। संसद/विधान सभाओं में बाबा साहिब के विरुद्ध अपमानजनक भाषण हो रहे हैं। समाज के अलग-अलग नेता छोटे ग्रुप/संस्थाएँ बना कर अपने नामों की चमक-दमक कायम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे और एक निशाना ’बहुजन हिताय, बहुजन सिखाय’ निश्चित करके एक सामाजिक मंच पर इकट्ठे होने का यत्न भी नहीं करते, संघर्ष तो दूर की बात रही। उल्टा जो लोग इन्हें इकट्ठा करने का यत्न करते हैं उन्हें अपना दुश्मन समझते हैं और उन्हें बेइज्जत करते हैं।
यह इस तरह का व्यवहार करके बहुजन समाज के हितों का नुकसान करके दुश्मन की अप्रत्यक्ष ढंग से मदद करते हैं। यह लोग समाज का भला करने की बजाए बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं। इस लिए आओ आज 14 अप्रैल को बाबा साहिब के जन्मदिवस मनाने के समय खुशियाँ भी मनाएँ और चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक सामाजिक मंच बना कर सामाजिक संघर्ष भी करें ताकि देश और बहुजन समाज पर आने वाले खतरे को रोका जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

आज जिला संघर्ष कमेटी की मीटिंग

(TTT)आज जिला संघर्ष कमेटी की मीटिंग में जिला अध्यक्ष...