सरफेस सीडर के साथ गेहूं की खेती को अपनाए किसान: कोमल मित्तल
– डिप्टी कमी ने ‘दी लांबड़ा कांगड़ी कोऑपरेटिव सोसायटी’ द्वारा सरफेस सीडर से बोए गए गेहूं की कटाई का किया निरीक्षण
-कहा, यह विधि गेहूं की खेती की लागत को कम करने के साथ-साथ खेतों में पराली प्रबंधन का सबसे सस्ता और प्रभावी विकल्प
होशियारपुर, 20 अप्रैल (बजरंगी पांडेय):
डिप्टी कमिश्नर कोमल मित्तल ने आज दी लांबड़ा कांगड़ी सहकारी सोसायटी गांव लांबड़ा ब्लॉक होशियारपुर-1 द्वारा सरफेस सीडर से बोए गए गेहूं की खेतों में कटाई के दौरान निजी तौर पर उपस्थित होकर इस विधि से बोए गए गेहूं का खेतों में प्रदर्शन संबंधी समीक्षा की। सोसायटी की ओर से पिछले वर्ष सरफेस सीडर के माध्यम से गेहूं की बुआई की गई थी, जिसकी आज कटाई की गई है। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि सरफेस सीडर से बुआई करने से लागत काफी कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष ही जिले में 80-85 हेक्टेयर में सरफेस सीडर के माध्यम से गेहूं की बुआई की गई थी, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
इस अवसर पर कृषि विभाग के अधिकारी डाॅ. हरमनदीप सिंह व आंकड़ा विंग के अधिकारी भी मौजूद थे, जिनकी मौजूदगी में सरफेस सीडर से बोए गए एक मरला गेहूं की कटाई की गई और उसकी पैदावार का अनुमान लगाया गया।
इस अवसर पर डिप्टी कमिश्नर ने किसानों से सरफेस सीडर से गेहूं की खेती अपनाने की अपील की क्योंकि इस विधि से गेहूं की खेती की लागत बहुत कम है और यह खेतों में पराली प्रबंधन का सबसे सस्ता और प्रभावी विकल्प भी है।
इसके बाद उन्होंने सोसायटी के कार्यालय में जाकर उनके द्वारा किए गए कार्यों का जायजा लिया। इस अवसर पर कृषि अधिकारी डाॅ. हरमनदीप सिंह ने कहा कि इस विधि से बोए गए गेहूं की पैदावार परंपरागत रूप से बोए गए गेहूं के बराबर होती है और गेहूं की पैदावार कम होने का कोई डर नहीं होता है। उन्होंने बताया कि सरफेस सीडर से बोए गए गेहूं में भूसा मल्च (गीली घास) का काम करता है, जिससे गेहूं पकने के समय अधिक तापमान के कारण उपज में कमी के खतरे से बच जाता है और यह गीली घास बाद में खेत में ही जैविक पदार्थ और अन्य तत्व ज़मीन में मिला देती है। इस अवसर पर कृषि विभाग से डाॅ. दीपक पुरी, संबंधित ब्लॉक के कृषि विस्तार अधिकारी अमनदीप सिंह, नृपजीत सिंह, प्रभजीत कौर, ‘दी लांबड़ा कांगड़ी सहकारी सोसायटी’ के प्रधान रंजीत सिंह, ‘दी लांबड़ा सहकारी सोसायटी’ के सचिव जसविंदर सिंह सैनी और किसान उपस्थित थे।