एक सांसद ऐसी भी
फूलन देवी की कहानी एक विवादास्पद और जटिल कहानी है।
(TTT)वह उत्तर प्रदेश के एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुई थीं. बचपन में ही उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा. उनके दादा की मौत के बाद उनके चाचा ने उनके पिता की जमीन हड़प ली. इसके अलावा, मात्र 11 साल की उममें उनकी शादी एक बहुत बड़े आदमी से कर दी गई, जिसने उनके साथ अत्याचार किया. इन घटनाओं से तंग आकर, वह अपने घर से भाग गईं और अंततः डाकुओं के गिरोह में शामिल हो गईं.
इस गिरोह में उनके साथ और भी बुरा बर्ताव हुआ, जिसके चलते उन्होंने बदला लिया. कुछ समय बाद, वह कुख्यात डाकू विक्रम मल्लाह के साथ मिलकर अपनी खुद की डाकू गैंग बना ली. यह गैंग चंबल घाटी के इलाके में आतंक का पर्याय बन गई.
1983 में हुए बेहमई कांड में फूलन देवी ने कथित तौर पर 21 लोगों की हत्या का आदेश दिया था, जिसने उन्हें राष्ट्रीय सुर्खियों में ला खड़ा किया. बाद के सालों में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया.
1994 में, राजनीतिक परिस्थितियों के चलते, उनके खिलाफ लगे कई आरोप वापस ले लिए गए और उन्हें रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद, उन्होंने समाजवादी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा. वह दो बार संसद सदस्य के रूप में भी चुनी गईं.
लेकिन, साल 2001 में उनकी दिल्ली स्थित आवास पर उनका उन लोगों द्वारा हत्या कर दी गई, जिनके रिश्तेदारों को फूलन देवी के गिरोह ने मारा था.
फूलन देवी की कहानी गरीबी, सामाजिक अन्याय और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर एक गंभीर टिप्पणी है. उनकी जिंदगी विवादों से भरी रही और उनकी कहानी पर कई फिल्में और किताबें भी लिखी गईं.