आज व्यक्ति सुपरमैन व भगवान बनना चाहता है :मोहन भागवत
बोले सनातन संस्कृति राजमहलों से नहीं ,आश्रमों से निकली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि आत्म विकास करते समय मनुष्य अति मानव यानी सुपरमैन बनना चाहता है इसके बाद वह देवता और फिर भगवान बनना चाहता है और विश्व रूप की भी आकांक्षा रखता है लेकिन वहां से आगे भी कुछ है क्या ? यह कोई नहीं जानता उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में मनुष्य होने के बावजूद मानवीय गुणों का अभाव होता है और उन्हें सबसे पहले अपने अंदर इन गुणों को विकसित करना चाहिए, उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए अनथक प्रयास करना चाहिए क्योंकि विकास और मानव महत्वाकांक्षा का कोई अंत नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद पूरी दुनिया को यह पता चल गया है कि भारत के पास शांति और खुशहाली का रास्ता है, सनातन धर्म मानव जाति के कल्याण में विश्वास रखता है ,पिछले 2000 वर्षों में विभिन्न प्रयोग किए गए लेकिन वह भारत की पारंपरिक जीवन शैली में निहित खुशी और शांति प्रदान करने में सफल रहे ।कोरोना के बाद दुनिया को पता चला कि भारत के पास शांति और खुशहाली का रास्ता है देश के भविष्य को लेकर वह कभी चिंतित नहीं रहे क्योंकि कई लोग उनकी बेहतरी के लिए सामूहिक रूप से काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि देश के भविष्य को लेकर कोई संदेह नहीं है ,अच्छी चीज होनी चाहिए इसके लिए सभी मिलकर काम कर रहे हैं हम भी प्रयास कर रहे हैं,आजकल तथाकथित प्रगति शील लोग समाज को कुछ देने में विश्वास करते हैं जो कि भारतीय संस्कृति में पहले से ही निहित है।