विशेष आवश्यकता वाले 2910 बच्चों के लिये जिले में 71 केन्द्र
(TTT)शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष के समस्त बालक बालिकाओं को अनिवार्य तथा नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करना मूल अधिकार बन गया है। सामान्य बच्चों के साथ ही विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देकर उनको विकास की धारा से जोड़ना शिक्षक का कर्तव्य है।उक्त बातें वीरवार को जिला शिक्षा अधिकारी कमलदीप कौर ने सरकारी एलीमेंट्री स्कूल बस्सी मुद्दा के रिसोर्स रूम में अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले 2910 बच्चों के लिये जिले में 71 केन्द्र संचालित किये जा रहे है और 21 आईईआरटी कार्य कर रहे हैं, जिनमें मानसिक, श्रवण तथा दृष्टि सम्बंधी समस्याओं से ग्रस्त बालकों को शामिल किया जाता है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को स्नेह तथा संवेदना की पल-पल आवश्यकता होती है। अल्प विकलांगता वाले बच्चों को कक्षा में ही सामान्य बच्चों की तरह थोड़ा अधिक ध्यान देकर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। शिक्षक को उन्होंने समाज का शिल्पी बताते हुये समेकित शिक्षण के तकनीकी बिन्दुओं की आत्मसात करने को कहा। जिला शिक्षा अधिकारी कमलदीप कौर ने कहा कि किसी एक अंग का कम विकास होने अथवा मन्द मानसिक विकास से जीवन की राह बन्द नहीं होती। समुचित प्रशिक्षण तथा तकनीकीपूर्ण शिक्षण से उन्हें सामान्य रूप से सक्षम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बच्चे समाज के अभिन्न अंग है। इन बच्चों के संग किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अभिभावकों को चाहिए कि इन बच्चों की समस्याओं को नजदीक से जाने समझे और उनका सामाजिक सामंजस्य स्थापित करने में अपना पूर्ण योगदान दे। अगर इन बच्चों को उचित समय पर उचित प्रणाली से प्रशिक्षित किया जाए तो उनके अंदर कई प्रकार की योग्यताएं एवं क्षमताएं विकसित की जा सकती है। विकलागता किसी भी बच्चे की शारीरिक, मानसिक ,संवेदनात्मक विकास में किसी प्रकार की बाधा नहीं बनती। उन्होंने कहां कहा के अभिभावकों को इन बच्चों के प्रति सकारात्मक सोच बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि उन्होंने कहा कि इन विद्यार्थियों के लिए एक फिजियोथेरेपिस्ट डॉ धीरज और दो स्पेशल एजुकेटर अंजू सैनी एवं सुभाष जिला स्तर पर कार्यरत है जो के इन सभी स्कूल में विजिट करते हैं।
इस अवसर पर जिला स्मार्ट क्लासरूम कोऑर्डिनेटर सतीश कुमार, स्पेशल एजुकेटर अंजू सैनी, आईईआरटी समीक्षा सैनी, हेड टीचर रिंपल कुमार, पूनम राजपूत इत्यादि उपस्थित थे।